भारतीय ज्ञान प्रणाली-प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान और ब्रह्मांड विज्ञान

भारतीय ज्ञान प्रणाली-प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान और ब्रह्मांड विज्ञान

About Book

प्रमुख खगोलशास्त्रियों का योगदान

  1. वराहमिहिर:
    • "पंच सिद्धांतिका" में पाँच प्राचीन खगोल विज्ञान ग्रंथों का संकलन किया।
    • "बृहत संहिता" के माध्यम से ज्योतिष और अन्य विषयों पर कार्य किया।
  2. आर्यभट्ट:
    • पृथ्वी की धुरी पर घूर्णन की अवधारणा दी।
    • शून्य और पाई (π) की गणना का योगदान।
    • सौर मंडल का केंद्र सूर्य होने का सिद्धांत प्रस्तुत किया।
  3. ब्रह्मगुप्त:
    • "ब्रह्मस्फुट सिद्धांत" में खगोल और गणित पर कार्य।
    • नकारात्मक संख्याओं और गुरुत्वाकर्षण की अवधारणा का उल्लेख।
  4. भास्कराचार्य II:
    • "सिद्धांत शिरोमणि" में ग्रहों की गति और ग्रहणों का विश्लेषण।
  5. नीलकंठ सोमयाजी:
    • "तंत्रसंग्रह" में खगोलीय और गणितीय दृष्टिकोण।

खगोलीय तकनीक और यंत्र

  • एस्ट्रोलैब: खगोलीय पिंडों की ऊँचाई और दिशा निर्धारित करने में सहायक।
  • यंत्र: घड़ियाँ, ध्रुवांक, और अन्य उपकरण।
  • आकाशीय ग्लोब: तारों और नक्षत्रों की स्थिति दर्शाने के लिए।

  • गणित और त्रिकोणमिति

  • भारतीय खगोलविदों ने त्रिकोणमिति और गणितीय श्रृंखलाओं पर महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • त्रिकोणमिति का उपयोग खगोलीय पिंडों की स्थिति और नेविगेशन में किया गया।

  • भारतीय खगोल विज्ञान की विरासत

  • इन योगदानों ने आधुनिक खगोल विज्ञान की नींव रखी।
  • गणित, खगोल विज्ञान, और अन्य विज्ञानों में इनके योगदान आज भी प्रेरणा देते हैं।